कल्कि पुराण में कहा गया है कि भगवान विष्णु के 10 वें और अंतिम अवतार
श्री कल्कि के युद्ध विद्या के गुरु होंगे। यह पहली बार नहीं है कि भगवान
विष्णु के 6 वें अवतार एक और अवतार से मिलेंगे। रामायण के अनुसार, परशुराम
सीता और भगवान राम के स्वयंवर में आए और भगवान विष्णु के 7 वें अवतार से
मिले।
भगवान श्री परशुराम की सेवा-साधना करने वाले भक्त भूमि, दारिद्रय से
मुक्ति, धन, ज्ञान, अभीष्ट सिद्धि, संतान प्राप्ति, शत्रु नाश, विवाह,
वर्षा, वाक् सिद्धि इत्यादि पाते हैं। भगवान परशुराम महामारी से रक्षा कर
सकते हैं। भगवान श्री परशुराम भगवान विष्णु के दशावतार में छठे अवतार माने
जाते हैं। भगवान शिव शंकर ने उन्हें मृत्युलोक के कल्याणार्थ परशु अस्त्र
प्रदान किया जिसके कारण भगवान परशुराम कहलाए। शस्त्र और शास्त्र के ज्ञाता
सिर्फ और सिर्फ भगवान परशुराम ही माने जाते हैं। क्यूंकि भगवान् परशुराम
ब्राह्मण कुल में पैदा हुए और असुरों के सर्वनाश के लिए भगवान् शिव से
शस्त्र विद्या ली।
भगवान परशुराम परम शिवभक्त थे। क्रोध और दानशीलता में भगवान परशुराम की
कोई बराबरी नहीं है। उन्होंने सहस्रार्जुन की राक्षस लीला समाप्त कर दी। और
ब्राह्मण होने के कारण प्रायश्चित के लिए सभी तीर्थों में तपस्या की। श्री
गणेशजी को एकदंत करने वाले भी परशुराम थे। पृथ्वी को 17 बार क्षत्रियों से
विहीन करने वाले भगवान श्री परशुराम ही थे। उनकी दानशीलता ऐसी थी कि एक
बार समस्त पृथ्वी ही ऋषि कश्यप को दान कर दी। उनके शिष्य बनाने का लाभ
दानवीर कर्ण ही ले पाए जिसे उन्होंने ब्रह्मास्त्र की दीक्षा दी।