नई शिक्षा नीति-2020

नई शिक्षा नीति-2020

नई शिक्षा नीति-2020 को कैबिनेट की मंज़ूरी मिल गई हैइससे पहले 1986 में शिक्षा नीति लागू की गई थी. 1992 में इस नीति में कुछ संशोधन किए गए थे यानी 34 साल बाद देश में एक नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है

पूर्व इसरो प्रमुख के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति ने इसका मसौदा तैयार किया था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने बुधवार को मंज़ूरी दीनई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं

●मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है इसका मतलब है कि रमेश पोखरियाल निशंक अब देश के शिक्षा मंत्री कहलाएंगे

जीडीपी का छह फ़ीसद शिक्षा में लगाने का लक्ष्य जो अभी 4.43 फ़ीसद है

●नई शिक्षा का लक्ष्य 2030 तक 3-18 आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है

●छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे. इसके लिए इसके इच्छुक छात्रों को छठी क्लास के बाद से ही इंटर्नशिप करवाई जाएगी इसके अलावा म्यूज़िक और आर्ट्स को बढ़ावा दिया जाएगा इन्हें पाठयक्रम में लागू किया जाएगा

●उच्च शिक्षा के लिए एक सिंगल रेगुलेटर रहेगा (लॉ और मेडिकल एजुकेशन को छोड़कर) यानी अब यूजीसी और एआईसीटीई समाप्त कर दिए जाएंगे और पूरे उच्च शिक्षा के लिए एक नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन किया जाएगा

●उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फ़ीसद GER (Gross Enrolment Ratio) पहुंचाने का लक्ष्य है

●पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम लागू किया गया है आप इसे ऐसे समझ सकते हैं आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरिंग पढ़ने या छह सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो आपके पास कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में एक साल के बाद सर्टिफ़िकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल के बाद डिग्री मिल जाएगी इससे उन छात्रों को बहुत फ़ायदा होगा जिनकी पढ़ाई बीच में किसी वजह से छूट जाती है

नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक

◆उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं, जो छात्र रिसर्च करना चाहते हैं उनके लिए चार साल का डिग्री प्रोग्राम होगा। जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे। लेकिन जो रिसर्च में जाना चाहते हैं वो एक साल के एमए (MA) के साथ चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद सीधे पीएचडी (PhD) कर सकते हैं। उन्हें एमफ़िल (M.Phil) की ज़रूरत नहीं होगी।

●शोध करने के लिए नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन (एनआरएफ़) की स्थापना की जाएगी। एनआरएफ़ का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालयों के माध्यम से शोध की संस्कृति को सक्षम बनाना होगा। एनआरएफ़ स्वतंत्र रूप से सरकार द्वारा, एक बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स द्वारा शासित होगा।

●उच्च शिक्षा संस्थानों को फ़ीस चार्ज करने के मामले में और पारदर्शिता लानी होगी।

●ई-पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे। वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फ़ोरम (NETF) बनाया जा रहा है।

विजन

राष्ट्रिय शिक्षा नीति 2020 एक भारत केंद्रित शिक्षा प्रणाली की कल्पना करती है जो सभी को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करके हमारे राष्ट्र को नयायसंगत और जीवंत  ज्ञान समाज में लगातार बदलने में योगदान देती है  

नई शिक्षा नीति 2020: महत्वपूर्ण तथ्य

स्कूली शिक्षा अब 3 साल की उम्र से शुरू होती है:-

नई शिक्षा नीति 6-14 वर्ष की आयु के अनिवार्य स्कूली शिक्षा के 3-18 वर्ष तक के विद्यालयों का विस्तार करती है। एनईपी ने स्कूली पाठ्यक्रम के तहत 3-6 वर्ष की आयु के पूर्व-विद्यालय, तीन साल की उम्र के उजागर किए गए हाईथो का परिचय दिया। नई प्रणाली में तीन साल की आंगनवाड़ी / प्री-स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी।

बचपन की देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) पर जोर देने के साथ, स्कूल पाठ्यक्रम की 10 + 2 संरचना को 5 से 3 + 3 + 3 + 4 पाठ्यक्रमिक संरचना द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना है, जो 3-8, 8-11, 11-14 आयु वर्ग के लिए है। और क्रमशः 14-18 वर्ष।

नई शिक्षा नीति-2020: प्रमुख पॉइंट्स एक नजर में

जिस तरह से एक जगह रुका हुआ पानी बदबू मारने लगता है उसी तरह से एक पुरानी पद्धति (जिसे रट्टू तोते वाली शिक्षा व्यवस्था भी कहा जा सकता है) से पढाई करने पर बच्चों को शिक्षा से लाभ मिलना बंद हो जाता है

यही कारण है कि भारत में समय समय पर शिक्षा नीति को बदला जाता रहा हैभारत में सबसे पहली शिक्षा नीति पूर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी ने 1968 में शुरू की थी इसके बाद अगली नीति राजीव गाँधी की सरकार ने 1986 में दूसरी शिक्षा नीति बनायीं जिसमें नरसिम्हा राव सरकार ने 1992 में कुछ बदलाव किये थे

इस प्रकार वर्तमान में भारत में 34 साल पुरानी शिक्षा नीति चल रही थी जो कि बदलते परिद्रश्य के साथ प्रभावहीन हो रही थी यही कारण है कि वर्ष 2019 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नयी शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार कर जनता से सलाह मांगी थी

भारत की नयी शिक्षा नीति 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने  29 अगस्त को मंजूरी दी है इस नयी शिक्षा नीति का मसौदा पूर्व इसरो प्रमुख के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति ने तैयार किया है आइये कुछ पॉइंट्स में जानते हैं कि नयी शिक्षा नीति 2020 के मुख्य बिंदु क्या हैं?

❇️ नई शिक्षा नीति-2020: प्रमुख पॉइंट्स एक नजर में 🔰

1. नयी शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का 6% खर्च किया जायेगा जो कि अभी 4.43% है

2. अब पांचवी कक्षा तक की शिक्षा मातृ भाषा में होगी

3. मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है अतः रमेश पोखरियाल निशंक अब देश के शिक्षा मंत्री कहलाएंगे

4. लॉ और मेडिकल एजुकेशन को छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए एक एकल निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग (HECI) का गठन किया जाएगा अर्थात उच्च शिक्षा के लिए एक सिंगल रेगुलेटर रहेगा उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी

5.छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे इसके लिए इच्छुक छात्रों को 6वीं कक्षा के बाद से ही इंटर्नशिप करायी जाएगी

6. म्यूज़िक और आर्ट्स को पाठयक्रम में शामिल कर बढ़ावा दिया जायेगा

7. ई-पाठ्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम (NETF) बनाया जा रहा है जिसके लिए वर्चुअल लैब विकसित की जा रहीं हैं.

8. वर्ष 2030 तक उच्च शिक्षा में फ़ीसद सकल नामांकन अनुपात GER (Gross Enrolment Ratio) 50% पहुँचाने का लक्ष्य है जो कि वर्ष 2018 में 26.3% था

9. नयी शिक्षा नीति 2020 का सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट है मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम लागू होना. अभी यदि कोई छात्र तीन साल इंजीनियरिंग पढ़ने या छह सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारण से आगे की पढाई नहीं कर पाता है तो उसको कुछ भी हासिल नहीं होता है

लेकिन अब मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में एक साल के बाद पढाई छोड़ने पर सर्टिफ़िकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल के बाद पढाई छोड़ने के बाद डिग्री मिल जाएगी इससे देश में ड्राप आउट रेश्यो कम होगा.

10. अगर कोई छात्र किसी कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में एडमिशन लेना चाहें तो वो पहले कोर्स से एक ख़ास निश्चित समय तक ब्रेक ले सकता है और दूसरा कोर्स ज्वाइन कर सकता है और इसे पूरा करने के बाद फिर से पहले वाले कोर्स को जारी रख सकता है

11. अभी सेंट्रल यूनिवर्सिटीज, डीम्ड यूनविर्सिटी, और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं. नई एजुकेशन पॉलिसी 2020 में सभी के लिए समान नियम होंगे

12. देश में शोध और अनुसन्धान को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका के NSF (नेशनल साइंस फाउंडेशन) की तर्ज पर एक शीर्ष निकाय के रूप में नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन (NRF) की स्थापना की जाएगी NRF की स्थापना का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालयों के माध्यम से शोध की संस्कृति को बढ़ावा देना है यह स्वतंत्र रूप से सरकार द्वारा, एक बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स द्वारा शासित होगा और बड़े प्रोजेक्टों की फाइनेंसिंग करेगा

तो ये थे भारत की नई शिक्षा नीति के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु उम्मीद है कि इस नई शिक्षा नीति से देश में रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा और रटकर पढ़ने की संस्कृति से बच्चों को छुटकारा मिलेगा

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