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डायबिटिक फुट (Diabetic Foot)
मधुमेह आजकल सभी उम्र के लोगों को होने वाली एक आम बीमारी हो गई है, परन्तु आजकल पुराने जो मधुमेह के रोगी है उनमे यह बीमारी खून में न रह क्र अन्य तरह के प्रभाव भी रोगी के शरीर में दिख रहे है जिनमे मुख्य रूप से रेटिनोपैथी (दृष्टिपटलविकृति) और न्यूरोपैथी (तंत्रिकाविकृति) हैं।
एक आम आदमी की भाषा में रेटिनोपैथी समय के साथ धीरे-धीरे आंखों की रोशनी कम करता है ।
न्यूरोपैथी 1 या 1 से अधिक परिधीय तंत्रिकाओं का काम न करना (शिथिलता) को दर्शाता है जो अंततः शरीर के उस हिस्से की सुन्नता और कमजोरी का कारण बनता है। मधुमेह के मामले में न्युरोपैथी पैर को ज्यादातर नुकसान पहुंचता है जिस कारण इस बीमारी को डायबिटिक फुट (Diabetic Foot) की स्थिति के रूप में जाना जाता है।
डायबिटिक फुट (Diabetic Foot) से ग्रसित मरीजों के लक्षण
डायबिटिक फुट (Diabetic Foot) वाले लोग अक्सर निम्नलिखित लक्षणों से संबंधित शिकायत करते हैं-
- पैरों में झुनझुनी सनसनी।
- पैर की उंगलियां मोटी, भंगुर हो जाती हैं, कई बार दबी हुयी या गुच्छेदार और रंग में थोड़ी पीली हो जाती हैं।
- गर्मी, ठंड या छूने से किसी भी किसी भी तरह का अनुभव न होना।
- जलन का अहसास
- पैरों और पैरों की सामान्य त्वचा की बनावट में परिवर्तन।
- मोटी त्वचा के साथ पैरों में कील (कॉर्न/Corn) का विकास।
- निचले अंगों में अक्सर बाहरी वृद्धि जैसे फफोले, घावों जिनका अगर समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो शरीर के उस हिस्से का मांस सड़ सकता है।
मधुमेह अपने आप में एक जीवन शैली विकार (Lifestyle Disorder) है और इसलिए यह रोग हमें हमारी अपनी लापरवाही के कारण जैसे – खाने पीने का ध्यान (मीठा ज्यादा खाना) न रखना या साफ सफायी न रखना होते हैं।
हर बीमारी की तरह अगर हम अपने आप को मधुमेह (diabetes) से भी बचाना चाहते हो तो इलाज की पहली पंक्ति (First Line of Treatment) हमेशा किसी भी बीमारी की रोकथाम होती है जिसे केवल हम अपनी दैनिक आदतों में कुछ बदलाव करके और नए बदलाव जो चिक्तिसक हमें बताते है उन्हे स्वीकार करके हम अपने आप को मधुमेह (diabetes) से बचा सकतें है।
डायबिटिक फुट (Diabetic Foot) की समस्याओं की जटिलताओं
त्वचा और हड्डी में संक्रमण: एक छोटे से कट या घाव से संक्रमण हो सकता है। प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्याओं के साथ साथ तंत्रिका और रक्त वाहिका नालियां क्षतिग्रस्त होने की अधिक संभावना होती हैं। अधिकांश संक्रमण पहले से एंटीबायोटिक दवाओं के साथ किए गए घावोंके इलाज में होता हैं। संक्रमण का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं के साथ किया जा सकता है। गंभीर मामलों में अस्पताल में उपचार की आवश्यकता हो सकती है।
फोड़ा: कभी-कभी संक्रमण के कारण हड्डियों या कोशिकाओं को नुकसान पहुँचता है और मवाद का एक हिस्सा बन जाता हैं जिसे फोड़ा कहा जाता है। इसके लिए सामान्य उपचार है फोड़े से पस्स को बहार निकलना। परन्तु कभी कभी इसमें से कुछ हड्डी या कोशिका को हटाने की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन नए तरीके, जैसे ऑक्सीजन थेरेपी से चीरा लगाने से बच सकते हैं।
अवसाद (Gangrene): मधुमेह रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करता है जो आपकी उंगलियों और पैर की उंगलियों की आपूर्ति करती हैं। जब शरीर के किसी हिस्से का रक्त प्रवाह कट जाता है, तो उस हिस्से की कोशिकाएं धीरे धीरे मर जाती है। इस तरह से प्रभावित क्षेत्र को हटाने के लिए उपचार आमतौर पर ऑक्सीजन थेरेपी या सर्जरी है।
डायबिटिक फुट (Diabetic Foot) होने से कैसे बचे -
- आरामदायक, अच्छी तरह से फिट होने वाले और अच्छी गुणवत्ता वाले जूते पहनें।
- उचित स्वच्छता बनाए रखें (समय-समय पर काम के बाद पैर की सफाई करें)
- शराब से बचें क्योंकि इससे स्थिति और बिगड़ सकती है
- मेडिकेटेड पाउडर और मेडिकेटेड लोशन का प्रयोग करें
- कील (Corn) के बनने का ध्यान रखें और यदि कील (Corn) दिख भी जाए तो इसे चाकू या ब्लेड से काटने की कोशिश न करें, बल्कि जल्द ही डॉक्टर के पास जाएँ।
- मोजे को समय पर बदलें।
- ऐसे रोगी को विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए जो आगे के संक्रमण के विकास से बचने के लिए किसी भी मधुमेह कील (Corn) या अल्सर की सर्जरी से गुजर चुका हो।
- मधुमेह के रोगी के निदान के लिए, डॉक्टर अक्सर लिखते हैं –
- मधुमेह के जूते
- कील (Corn) और अल्सर के गठन से बचने के लिए मेडिकेटेड जूता पहनना।
- पैर के नाखूनों का समय समय पर काटना।
डायबिटिक फुट (Diabetic Foot) होने पर चिकित्सक या डाक्टर को कब दिखाए
एक मरीज के लिए, जब वह पहली बार मधुमेह के पैर विकसित करने के लक्षणों का एहसास करता है, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
यदि आपको अल्सर, कॉर्न या छाला और पावं के किसी भी हिस्से की त्वचा धीरे-धीरे काली पड़ रही है, तो अपने चिकित्सक से परामर्श करें क्योंकि इसके लिए सर्जिकल प्रक्रियाओं की आवश्यकता भी हो सकती है।