डसॉल्ट राफेल या Dassault Rafale एक फ्रेंच दोहरे इंजन वाला, कैनर्ड डेल्टा विंग, मल्टीरोल डेसॉल्ट एविएशन द्वारा डिजाइन और निर्मित लड़ाकू विमान है।
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उच्चतम गति : 1,389 कि॰/घं॰ रुझान में है (Maximum speed: 2,223 km/h (1,381 mph, 1,200 kn) [299] / Mach 1.8[300] at high altitude & 1,390 km/h, 860 mph, 750 kn / Mach 1.1 at low altitude)
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सीमा: 3,700 कि.मी.
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उत्पत्ति का देश : फ्रांस
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निर्माता : डसॉल्ट एविएशन
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प्रकार : मल्टीरोले लड़ाकू विमान
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कार्यक्रम लागत: €45.9 बिलियन (As of FY2013) (US$62.7 बिलियन)
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राफेल-Dassault Rafale की स्पीड कितनी है?
24,500 किलोग्राम वजन वाला राफेल एयरक्राफ्ट 9500 किलोग्राम भार उठाने में सक्षम है. इसकी अधिकतम रफ्तार 1389 किमी/घंटा है. एक बार उड़ान भरने के बाद 3700 किमी तक का सफर तय कर सकता है
भारत ने कितने राफेल - Dassault Rafale विमान खरीदे और इसका सौदा कब हुआ था?
भारत ने वायुसेना के लिए 36 राफेल विमान खरीदने के लिए चार साल पहले सितंबर में फ्रांस के साथ 59 हजार करोड़ रुपये का करार किया था। भारत ने राफेल सौदे में करीब 710 मिलियन यूरो (यानि करीब 5341 करोड़ रुपए) लड़ाकू विमानों के हथियारों पर खर्च किए हैं।
एक राफेल इतना महंगा क्यों है?
36 राफेल – Dassault Rafale विमानों की कीमत 3402 मिलियन यूरो है. विमानों के स्पेयर पार्टस 1800 मिलियन यूरो के हैं, जबकि भारत के जलवायु के अनुरुप बनाने में 1700 मिलियन यूरो का खर्चा हुआ है। इसके अलावा परफॉर्मेंस बेस्ड लॉजिस्टिक का खर्चा करीब 353 मिलियन यूरो का है. एक विमान की कीमत करीब 90 मिलियन यूरो है यानी करीब 673 करोड़ रुपए। लेकिन इस विमान में लगने वाले हथियार, सिम्यूलेटर, ट्रैनिंग मिलाकर एक फाइटर जेट की कीमत करीब 1600 करोड़ रुपए पड़ेगी।
राफेल कब भारत पहुंचा और किस एयरबेस में तैनात हुआ?
राफेल 29 जुलाई को हरियाणा के अंबाला वायुसेना एयरबेस पर पहुंचा और अंबाला में ही राफेल फाइटर जेट्स की पहली स्क्वाड्रन तैनात होगी। 17वीं नंबर की इस स्क्वाड्रन को ‘गोल्डन-ऐरोज़’ नाम दिया गया है. इस स्क्वाड्रन में 18 राफेल लड़ाकू विमान होंगे, तीन ट्रैनर और बाकी 15 फाइटर जेट्स। राफेल विमानों की दूसरी स्क्वाड्रन उत्तरी बंगाल (पश्चिम बंगाल) के हाशिमारा में तैनात की जाएगी। दोनों स्क्वाड्रन में 18-18 राफेल विमान होंगे ।
राफेल - Rafael के लिए अंबाला एयरबेस को ही क्यों चुना गया?
अंबाला एयरबेस पर राफेल – Dassault Rafale को तैनात करने का फैसला इसलिए किया गया है, क्योंकि यहां पर भारत के जंगी बेड़े की सबसे घातक और सुपरसोनिक मिसाइल, ब्रह्मोस की स्क्वाड्रन भी तैनात है। साथ ही चीन और पाकिस्तान की सरहदें यहां से करीब हैं।
भारत को सभी 36 राफेल विमान कब मिलेंगे?
भारतीय वायुसेना ने बताया है कि सभी 36 विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक पूरी हो जाएगी। वायुसेना को पहला राफेल विमान पिछले साल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की फ्रांस यात्रा के दौरान सौंपा गया था। बयान में यह भी कहा गया है कि 10 विमानों की आपूर्ति समय पर पूरी हो गई है और इनमें से पांच विमान प्रशिक्षण मिशन के लिये फ्रांस में ही रुकेंगे।
क्यों खास हैं राफेल - Rafael विमान?
राफेल विमान अत्याधुनिक हथियारों और मिसाइलों से लैस हैं। दुनिया की सबसे घातक समझे जाने वाली हवा से हवा में मार करने वाली मेटयोर (METEOR) मिसाइल चीन तो क्या किसी भी एशियाई देश के पास नहीं है। वियोंड विज्युल रेंज ‘मेटयोर’ मिसाइल की रेंज करीब 150 किलोमीटर है। हवा से हवा में मार करने वाली ये मिसाइल दुनिया की सबसे घातक हथियारों में गिनी जाती है। इसके अलावा राफेल फाइटर जेट लंबी दूरी की हवा से सतह में मार करने वाली स्कैल्प क्रूज मिसाइल और हवा से हवा में मार करने वाली माइका मिसाइल से भी लैस है।
भारत ने जो 36 लड़ाकू राफेल विमान खरीदे हैं उनमें से 30 लड़ाकू विमान और छह प्रशिक्षु विमान हैं जिन्हे प्रशिक्षण के लिए प्रयोग किया जायेगा
भारतीय वायुसेना ने अंबाला हरियाणा और हासीमारा पश्चिम बंगाल एयरबेस पर शेल्टर, हैंगर और मरम्मत / देखभाल संबंधी इत्यादि अवसंरचना विकसित करने में करीब 400 करोड़ रुपये निवेश / खर्च किए हैं। भारत ने जो 36 राफेल विमान खरीदे हैं उनमें से 30 लड़ाकू विमान और छह प्रशिक्षु विमान हैं। प्रशिक्षु विमानों में दो सीटें हैं और उनमें लड़ाकू विमानों के लगभग सभी फीचर मौजूद हैं।
पिछले कुछ दशकों में, वायु सेना किसी भी देश के लिए प्राथिमकता वाली सैन्य शक्ति उभर कर सामने आयी है ।
इसी श्रेणी में Dassault Rafale ने एक बड़ा ही महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है इसकी ये भूमिका हम फ़ॉकलैंड से लेकर खाड़ी तक, बोस्निया से कोसोवो तक, अफगानिस्तान से लीबिया तक, और हाल ही में माली, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, इराक और सीरिया में भी हम इसकी प्रतिभा का लोहा मान चुके है ।
सैन्य विमानन Dassault rafale निस्संदेह आज का सबसे रणनीतिक हथियार है, जिसका मुकाबला लड़ाकू प्रभावशीलता और कार्यान्वित महत्वपूर्ण तकनीकों के संदर्भ में किया जाता है।
आधुनिक युद्ध में, पहले दिन से हवा का प्रभुत्व एक होना चाहिए, ताकि एयर-टू-ग्राउंड और एयर-टू-सी ऑपरेशन सुरक्षित और कुशलता से आयोजित किए जा सकें।
विषम और आतंकवाद विरोधी संघर्षों के दौरान, वायु सेना ही सैन्य प्रयास में सबसे आगे रहती है, इसके लचीलेपन और फायरिंग शक्ति की मदद से हम किसी भी लक्ष्य को ध्वस्त करने में सक्षम होते है क्यूंकि इसका निशाना एकदम अचूक या फायर एंड फॉरगेट वाला होता है।
आधुनिक युद्ध में वायु घटक का निर्णायक स्थान उन राष्ट्रों द्वारा तय की गई रक्षा रणनीतियों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है जो विश्व मंच पर एक अग्रणी भूमिका रखना चाहते हैं।