शायर मगरूर की आपको ये Sad, Love & heart touching हिंदी शायरी - Hindi Shayari जरूर पसंद आएगी
जब भी बात की तुमसे कुछ अधूरी सी रह जाती है। जब कि मुलाकात तुमसे गुफ़्तुगू अधूरी छूट जाती है।। शायर कुलदीप सिंह
थोड़ा हमे भी स्वाद सिखा देते…नादान है मोहब्बत में ये सक्सेना ! कॉफी हमने भी छोड़ दी है! एक कप चाय हमे भी पिला देते।।।
इश्क़ है तो इबादत भी होगी! दुआओ में आरज़ू भी होगी! मुकंमल होगा मुझे भी तेरी चाहतों का जहान जिस दिन खुदा से बात होगी।।
दूर है फिर भी तुझे तोहफा देंगे।। तेरी खुशियों के लिए खुदा से दुआ करेंगे।। माना कि तुझे मिल के बधाई नहीं दे सकते! पर दिल से दिल वाला ! हैप्पी वाला बर्थडे कहेंगे।।
गुफ्तगू ए इल्तिज़ा बड़ी हया होगी! जिस दिन उठेगा जनाजा मेरा तेरी गली से उस दिन तेरे लब्जो से सिर्फ तोबा करोगी।।
हम तो इश्क़ में यूंही मशहूर हो गए! बचाने हमे जमाने से, मोहब्बत में वो मुकरे! और यूंही बदमान हो गए।।
शायर मगरूर की आपको ये Sad, Love & heart touching हिंदी शायरी - Hindi Shayari जरूर पसंद आएगी
जीता हूं कहीं एक लम्हे की तलाश मैं! हस्ते हस्ते खुद को! खुद ही बीते हुए लम्हे में खुद को तब्दिल कर आया हूं मैं।। शायर मग़रूर
जाने देते जान हमारी! यूं तो ना खुद को तकलीफ देते! एक मौका तो देते अपनी कुरबत में मिट जाने के लिए! यूं ना बेवफाई का ताज अपने सर लेते।।
मुझे जिन्दगी सार मिल गया ….. मुझे राधा नाम मिल गया…। भटक रहा था दर-ब-दर प्रेम के लिए…। मेरी माँ राधा रानी के चरणों मुझे सारा संसार मिल गया …. राधे राधे🙏
जब वो सामने ना होती हैतो बेचैन होता हूं।।
उसके दीदार को खुदा के सजदे में होता हूं।। तुम कहते हो की जाते हुए रोका होगा उसने! हमने नहीं देखा होगा।। ए दोस्त फैसला तुम पर छोड़ देते है। अपनी खताओ को मान लेते है! कहो जाके की आज भी हम उसी रहा पर खड़े है! जहा से वो मुड गए थे। फिर से उनके साथ चलने की इंतजार में बैठे है।।
तुम कितनी हसीन हो! मैं तुम्हे अल्फजो से बताऊंगा। गर दिल में उतरे तो मुश्कुरा देना।। तेरी झुकी पलको की हाया में तेरी बिंदिया बेककार कर जाएं ये कैसे छुपाऊंगा। गर कोई नुस्खा तो बता देना।।
ये सब तुम्हारा वेहम है! मेरे दूर होने से उसके दिल को सुकून है।। गर इतनी ही मोहब्बत थी हमसे उनको तो जाते वक़्त रोकने की इल्तिज़ा करते! हम उनके दिल के कैदी बन कर ज़िन्दगी गुजर लेते।।
शायर मग़रूर
शायर मगरूर की आपको ये Sad, Love & heart touching हिंदी शायरी - Hindi Shayari जरूर पसंद आएगी
तेरा फोन जब अता है! सांस थम जाती है। गर कुछ ना केह पाऊ तो धड़कन से समझ लेना! के अब एक लब्ज भी नहीं कह पाऊंगा।।
वो तो इशारों में बात करती है। तुम उर्दू की बात करते हो! हमे तो शक है वो बोल भी पाती है ! या जानबूझकर हमे अपनी आवाज के लिए तरसाती है।।
पूछ लिया करो हाल भी इस ख़ाकसार का ।। माना कि नाचीज़ का वजूद ही क्या तुम्हारी कहानी के पन्नों में।।
लगता है तुम भी उनके हुस्न के मुरीद हुए हो। दोस्त का हाल जानके भी। उसके हक में बात करते हो।।
इश्क़ है तो इबादत भी होगी! दुआओ में आरज़ू भी होगी! मुकंमल होगा मुझे भी तेरी चाहतों का जहान जिस दिन खुदा से बात होगी।।
लो आज हमने फिर खता करदी! ये रूह तेरे नाम करदी।। इश्क़ जो किया था तो दिल तुझे दे चुके थे! देख तेरे गम में हमने जिस्म से जान जुदा करदी।।
हमने उन्हें बयां क्या कर दी! अपने दिल की बातें । उन्होंने छोड़ दिया साथ ऐसे जैसे अमावस में ! चांद ने तोड़ लिए हो धरती से नाते।।
ख़ाकसार है! ख़ाकसार है! इश्क़ की औकात क्या आंकेगे! नाचीज़ को मोहब्बत कबूल नहीं अब ।।
कहना तो बहुत कुछ चाहते है! पर बात कहा से शुरू करे। तुम खफा हो हमसे ! मनाने का तरीका नाचीज़ कहा से इजात करे।। गर कर सको खता मेरी मुआफ़! तो नई शुरुआत करे।।
अजीब है ! इश्क़ का दस्तूर भी! मुकदर में होके भी! मुंह मोड़ लेती है।। शायर मग़रूर
कैसे भुला दूँ तुम्हे ये तुम ही बता दो, इस दर्द-ए-दिल की तुम ही दवा दो ! यूँ तो मैं समझ जाता हूँ तुम्हारे चेहरे से जज्बात, हो सके तो तुम ही कुछ साफ साफ़ बता दो !!
खफा तू, बजहा तो बता ! बात तो कर गिला तो मिटा।। दूर तू, बजहा तो बता! यकीन तो कर, दूरियां तो मिटा।।
एक वक़्त था जब हर पल बात करते थे! सारे ज़माने से पहले याद करते थे! अब ना जाने क्या खता हो गई ! अब सारे जमाने के बाद याद करते हो। जब मन हुआ तब बात करते हो।।
कभी बेबजाहा पिरोया था अल्फजो की माला को। आज बजाहा मिल गई! तेरी बेरुखी इन लब्जो के आंसुओ की साझा बन गई।।
तुमने कहा था! जब कोई नहीं होगा तब मैं और तुम होंगे एक दूसरे का हाथ थामने के लिए! जब सब साथ छोड़ जायेंगे एक समय के बाद तब मैं और तुम साथ होंगे। जब तूने ही साथ छोड़ दिया तो अब किसकी बातों पर यकीन होगा। तनहा सफर का मैं तनहा साथी हूं ।ये मानना ही होगा।।
दूर तुझसे रहना सज़ा सा हो रहा है! बिन तेरे जीना बेबजहा सा हो रहा है। तनहा तो काट लेते है दिन! पर जब रात में बात ना हो तो नींद का रूठना लाजमी सा हो रहा है।।
एक खत लिखा मैने उसके नाम! पर लिखा न एक भी लफ्ज! बिन लफ़्ज़ो का कर दिये बयान मैने अपना सर ज़ज़बात!! शायर मग़रूर
तुम कितनी हसीन हो! मैं तुम्हे अल्फजो से बताऊंगा। गर दिल में उतरे तो मुश्कुरा देना।। तेरी झुकी पलको की हाया में तेरी बिंदिया बेककार कर जाएं ये कैसे छुपाऊंगा। गर कोई नुस्खा तो बता देना।। तेरा फोन जब अता है! सांस थम जाती है। गर कुछ ना केह पाऊ तो धड़कन से समझ लेना! के अब एक लब्ज भी नहीं कह पाऊंगा।। ।। शायर मगरूर।।
मैं अंजान था मोहब्बत से! तूने ने सिखाया मुझे जीना नए अंदाज़ में। मैं बेफिक्र था ! खुद की फिक्र करना तूने बताया मुझे बड़ी सादगी में।। खो कर भी तुझे खोने ना दिया मैने ! ज़िन्दा है एहसास तू मेरे हर एहसास में।।
इंतिजार!!!! एक तन्हा लम्हा।। तू दूर और एक तेरा खयाल ।। बेशक बेबस मैं पर हर कोशिश में तेरी चाहत का खुमार।। तड़प!!!! एक तेरी याद।। तू खफा और मेरा दिल बेकाकर।। बदतमीज बेपरबा मैं पर हर अरदास में तेरी फिक्र का इख्लास।।
ये जो तुम इश्क़ में सितम ढाती हो! जरा बताओ किसके सिखके आती हो।। यूं बेबजहा याद आती हो! जरा हमपे भी रेहेम खाओ क्यूं सताती हो।। चलो मान लिया तुम मुझे! में तुम्हे भूल चुका हूं, फिर क्यूं मेरे ख्वाबों में आके मुझे बेचैन कर जाती हो।। थोड़ा तो खौफ खाओ खुदा का! हमने भी कहीं पड़ा है मोहब्बत के सजदे को दुनिया भी सर झुकती है।। तोबा ना करो ना सही! पर यूं मजलूम को जीते जी क्यूं मौत से रूबरू कराती हो।। ये जो तुम इश्क़ में सितम ढाती हो! जरा बताओ किसके सिखके आती हो।।
मैं टूटा हूं मंजीरों सा! तू अके संभाल तो सही। मैं बिखरा हूं आइने सा! तू आके जोड़ तो सही।। हर पल काटता है तेरे बिन सदियों सा! तू आके ज़िन्दगी को थाम तो सही।।। मैं सैलाब समुंद्र सा! तू लेहर बन कर थाम तो सही। मैं बिगड़ा हुआ आग सा! तू पानी बन कर बुझा तो सही।। हर पल दर लगता है ना मिटंदू बजुद तेरा अपने जेहेन से !तू अके बेहेम मिटा तो सही।।।
इक उम्र गुजर गई है! बिन तेरे दीदार के । इल्तिज़ा है ख़ाकसार की! तेरे नूर – ए – मुजसर की एक झलक को कुर्बान हो जाऊंगा, बस सुनले फरियाद अपने दीवाने की।। गुनहा है! किसी काफिर से मोहब्बत ! कबूल है हर सितम चाहत के! पर यूं ना सजा दे बिन अपने दीदार के इस रहनुमा को।।।
दस्तूर है मोहब्बत में तोफेहे देना! हमने तो ज़िन्दगी नाम करदी।। तुमने क्या दिया उम्र भर की तन्हाई और बेवफाई का मंजर दिया।। शायर मग़रूर
मुफलिसी में तो ना कट रही थी ! कमी तो ना थी जिन्दगी । बस एक तू ना थी! मेरे अधूरे ख्वाबों में।।
मेरी चाहत की आरजू इस मुकाम तक जाएगी। मेरी हर इबादत खुदा को नागवार हो जाएगी ! इल्म ना था जब जब मागूंगा दुआओं में तुझे! तू उतनी ही दूर चली जाएगी ।।
मुद्दातों बाद तेरी याद ने फिर रुलाया है। लगता है ! तुम्हे भी मेरा खयाल आया है।। आज रात गमगीन हुई है। लगता है! किसी महफ़िल में हमारी बात हुई है।। बड़े अर्सो बाद दिल में भूचाल आया है। लगता है! किसी ने मेरा नाम लेके उन्हें फिर वो बिता पल याद दिलाया है।।
कभी उठे तेरे हाथ मेरे लिए भी दुआ में। बस यही आरजू अब हर अरदास में।। शायर मग़रूर
लिखता हूं कलम से उस बात को। जो बयां ना कर पाया तेरे सामने दर्द – ए – एहसास को।। इतना भी तू बेमुराबत ना था! कि लेके तेरा नाम करदुं रुसवा मोहब्बत को। माना कि तूने मोहब्बत ना की थी !पर कैसे भुला दूं तेरे लिए इश्क़ – ए- बेशुमार को।।
तुम शमा..चांद का नूर हो तुम! जो करा दो दीदार अपने! दिल का सुकून हो तुम!! तुम रात.. सुबह की खुशी का पैगाम हो तुम! मेरे करीब रहा करो! मुसाफ़िर का आराम हो तुम।। तुम तड़प.. बेचैनी का आलम हो तुम! जो मुस्कुरा दे तू! मेरी बेजुबान दास्तान के अल्फ़ाज़ हो तुम।।।
रात कल अजीब सा ख्वाब था! तू मेरे साथ ये तो इतिफाक सा था! तू मेरे सामने था मै तेरे सामने था! आंखो में आंखे और हाथो में हाथ था।। रात काल अजीब सा ख्वाब था! तेरे लफ्जो से कुछ ना हुआ पर आंखो में अल्फाजों का समुन्दर उमड़ रहा था! हक़ीक़त- ए- मोहब्बत बयान ना हुए तो ख्वाब का ही दामन थामा था! ख्वाब में भी तेरे नूर ने मेरी दिल की धड़कनों को संभले कहा दिया था।।।
कुछ बातें दिल से तो कुछ आंखो से कहीं जाती है… बातें भी तो हमारे जज्बात ही तो होती है… कभी कभी ना केह के भी जो बयान करदे दिल के राज वो बातें ordinary नहीं special से भी ज्यादा special होती है…
कभी कभी मेखानो की तरफ रुख कर लिया करते है….कभी कभी मेखानो की तरफ रुख कर लिया करते है….तेरे इश्क़ का खूमार ना उतरे इसीलिए हम भी दो चार जाम पी लिया करते है…..।।।। शायर मग़रूर
बेखौफ, बेदर्द, बेमुराबत हूं मै.. हैरत में हो…. बेखौफ, बेदर्द, बेमुराबत हूं मै.. हैरत में हो…. मोहब्बत की थी इसीलिए सैतान हूं मै…. हमदर्द, दर्द की दवा हुआ करते थे दोस्तो…. हमदर्द, दर्द की दवा हुआ करते थे दोस्तो…. खुद के दर्द से रूबरू हो गया…. बे अदब हूं मैं… पत्थर से मोहब्बत कर बैठे यही कसूर है मेरा … आज संदिल हूं मैं…।।।
आज फिर से दिल उन हसीन वादियों में खोने को कहता है… काश लौट के अजाए तू उन मंजारो में तेरे सपनों में खोने को कहता है… आज फिर दिल उन हसीन वादियों में खोने को कहता है…. आज हर शक्स है मेरे पास हर खुशी मौजूद है मेरी महफ़िल में पर तेरे हसी का सोर सुनने को कहता है… आज फिर दिल….।।।।
नीदों ने भी तुझसे यारी करली… ना जाने क्यूं बेवजह खफा है मुझसे… तेरा रूटना तो समझ आता है… तेरे ख्यालों को मेरे दिल ने गिरफ्तारी देदी।।।
दर्द है तन्हाई है… दर्द है तन्हाई है…. कोन केहता है कि हमें मोहब्बत से नफ़रत है…. हमने तो तेरे सितमो से भी वफा निभाई है…. दर्द है तन्हाई है….. कोन केहता तूने साथ मेरा छोड़ दिया है….. तू तो मेरे आंखों में समाई है….. दर्द है तन्हाई है…..।।।।
शाम तो ढली …शाम तो ढली पर तू ना मिली ….तूने तो कहा था कि ख्वाबो में आयेंगे …. कमबख्त तेरी याद में मेरी आंख ना लगी….शाम तो ढली पर तू ना मिली….तूने तो कहा था मुस्कुराते रहना….पर तेरे जिक्र में आंखो कि नमी ना थमी….शाम तो ढली… शायर मग़रूर